जहाँ तक जायेगी
तुम्हारी दृष्टि वहीं तक देख पाओगे
वैसा ही दिखाई देगा
जैसा देखना चाहोगे
चक्षुओं का काम है दृष्टि डालना
पर दृष्टिकोण तो अन्तर्दृष्टि से
निर्धारित होता है
वह वैसा ही होता है
जैसे हमारा अंतर्मन में होता है
जहाँ तक और जैसा वह चलेगा
वहां तक वैसे ही चल पाओगे
प्रात:काल में करोगे किसी
समाचार पत्र का अवलोकन
तो अपराध और घोटालों को ही
धारण कर पाओगे
दिन भर उन्हें ही सामने पाओगे
योगासन, प्राणायाम और ध्यान में
अपना समय बिताओगे तो
दिन भर पवित्र विचार्रों के
साथ बिताओगे
अपने अंतर्मन में लाओ शुध्दता
तुम्हारी अन्तर्दृष्टि में आयेगी बहार
तब अपने चक्षुओं से इस रंग-रंगीली
दुनियां की रौनक देख पाओगे
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टिप्पणियाँ
सुन्दर रचना है।्यह पंक्तियां बहुत सुन्दर बन पड़ी हैं।अपने अंतर्मन में लाओ शुध्दतातुम्हारी अन्तर्दृष्टि में आयेगी बहारतब अपने चक्षुओं से इस रंग-रंगीलीदुनियां की रौनक देख पाओगे