मित्रों, रिश्तेदारों और सहयोगियों के कहने पर हमने मोबाइल जरूर खरीद लिया, पर अब हमें लगता है कि लोगों ने हमें नया छात्र समझकर ख़ूब रैगिंग ले ली। ९९९ में लाईफ टाईम इन कमिंग और २५० के टाक टाईम की सिम हमने डलवायी और अब हमारा टाक टाईम केवल २१ रुपये का रह गया। इसमें आश्चर्य की क्या बात? आप सवाल उठाएँगे ?
जवाब यह कि हमने उसका उपयोग किसी खास काम के लिए नहीं किया क्योंकि लोगों के मिस काल फेस करते-करते ही पूरा टाक टाईम खत्म हो गया।हुआ यह कि हमने अपना नंबर उन सबको दे दिया जिनको हमारी और जिन्हें हमारी आवश्यकता होती थी पर सबने मिलकर ऐसा खेल खेला कि अब हम यह सोच रहे हैं कि नया टाक टाइम् अब लायें ही नहीं । लोग अपने काम तक की बात के लिए भी मिस काल देते हैं और उन्हें संकोच नहीं होता यह कहते हुए कि हमारे इसमें टाक टाईम नहीं है।
जिसे देखो वही मिस कल दे रहा है और हम फोन करके पूछते तो जवाब मिलता है हमने तो यों ही मिस काल दीं थी कि अगर बात करनी हो तो काल लगा लो । या कहेंगे कि हमारे इसमें टाक टाइम् ज्यादा नहीं है तो सोचा तुम्हें मिस काल दे दें तो तुम्हीं बात कर लोगे । घर पर रिश्तेदारों के बच्चे आये और उन्हें अपने माता-पिता से बात करनी थी तो हमसे फोन लेकर लगाने लगे ।
हमने कहा-“मिस काल लगा दो , तुम्हारे माँ-पिता स्वयं ही बात कर लेंगे “।
बच्चे बोले -” हमारे मोबाइल में टाक टाईम नहीं है ।”
हमने कहा-“पापा से कहों कि टाक टाईम डलवा लें । भाई ऐसा मोबाइल किस काम का जिसमें तक टाईम नहीं हो ।”
बच्चे बोले -“पापा कहते हैं कि अब मैं नहीं टाक टाईम नहीं डलवाऊंगा क्योंकि तुम लोग फ़ालतू बात ज्यादा करते हो।”
हमने उनको बात करने कि इजाजत दे दीं और हमारा बीस रूपये का टाक टाईम खत्म हो गया। हमारे घर से कई ऐसे रिश्तेदारों ने फोन किये जो हमें केवल मिस काल करते थे। हम उनसे कहते कि भई तुम अपने घर मिस काल ही लगाओ तो बस एक ही जवाब है कि उसमें टाक टाईम नहीं है । उस दिन तो हद हो गयी हमारे एक ऐसे अजीज रिश्तेदार ने फोन किया जिसे हम यह कह ही नहीं सकते कि तुमने मिस काल क्यों दीं, सीधे काल क्यों नहीं की ।
उनके मिस कल हमने उन्हें फोन किया तो वह बोले-“हम तो हैं गरीब आदमी , मोबाइल में केवल इतना ही टाक टाईम डलवाया है कि लोगों को मिस काल कर सकूं। “
वह सरासर झूठ बोल रहे थे पर रिश्ता ऐसा था कि हम कह नहीं सकते थे कि भाई बिना टाक टाईम का यह कैसा मोबाईल चला रहे हो , और फिर तुम्हारा काम था हम क्यों पैसा खर्च करे।
हालांकि हमने अब मिस कालों का जवाब देना ही बंद कर दिया है। अगर कोई घंटी चलकर बंद हो जाती है तो फिर हम नंबर भी नही पढ़ते कि किसने किया था सीधे डीलिट कर देते हैं । ऐसे मोबाइल वालों से क्या बात करना जिनके पास टाक टाईम नहीं है ।
टिप्पणियाँ
-logon ko kyon samajh nahi aati ki mobile par uski bhi jarurtey hain
बिल्कुल सही फैसला है ऐसे लोगों से बात ही मत कीजिए, अगर फोन करने के लिए मोबाइल मांगे तो कहिए कि टॉक टाइम नहीं है।
क्या बवाल है मोबाइल भी!
आप का फैसला सही है।ऐसी कालों का जवाब ही ना दो।
बढा भारी काम है, यह मोबाइल भी मुसिबत है. 🙂