पल भर में बिखर जाती है जिंदगी
बरसों बनाये में लगते हैं
पर हवा के ऐक झौंके में
बडे-बडे महल ढह जाते हैं
छा जाती है मुर्दानगी
फ़िर भी जीवन है चलने का नाम्
अपना कर्म ही है बंदगी
यही सोचकर चलते रहो
बढते रहो अपने कर्तव्य पथ पर
छोडो न अपनी निष्ठा और धर्म
यही है जीवन का मर्म्
करो न किसी इंसान की पूजा
परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजा
करते रहो बस उसकी बंदगी
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परमेश्वर के अलावा नही कोई दूजाकरते रहो बस उसकी बंदगी–वही कर रहे हैं.