रहीम के दोहे: जागते हुए सोये उसे क्या शिक्षा देना


जानि अनीती जे करैं, जागत ही रह सोई।
ताहि सिखाई जगाईबो, उचित न होई ॥
अर्थ-समझ-बूझकर भी जो व्यक्ति अन्याय करता है वह तो जागते हुए भी सोता है, ऐसे व्यक्ति को जाग्रत रहने के शिक्षा देना भी उचित नहीं है।
कविवर रहीम का आशय यह कई जो लोग ऐसा करते हैं उनके मन में दुर्भावना होती है और वह अपने आपको सबसे श्रेष्ठ समझते हैं अत: उन्हें समझना कठिन है और उन्हें सुधारने का प्रयास करना भी व्यर्थ है।
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टिप्पणियाँ

  • mamta  On सितम्बर 27, 2007 at 17:10

    अर्से बाद रहीम का दोहा पढा।

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