जिन्दगी के रास्ते


कुछ ख्वाब थे जो हकीकत नहीं बने
कुछ सपने थे जो सच नहीं बने
जिन्दगी के रास्ते हैं ऊबड़-खाबड़
आदमी अपने कदम चाहे जैसे बढाए
ऐसे रास्ते बिलकुल नहीं बने
ख्यालों में चाहे जैसा सजा ले
रास्ते पर आरामगाहें मिल जाएं
ऐसे यहाँ जहाँ नहीं बने
सच के रास्ते पर चलना है
यही पक्का इरादा है जिनका
वह कभी गिरते नहीं
अपनी मंजिलों की तरफ
सीना तानकर आगे बढ़तें हैं
यह रास्ते उनके लिए अपने बने

Post a comment or leave a trackback: Trackback URL.

टिप्पणियाँ

  • रवीन्द्र प्रभात  On नवम्बर 9, 2007 at 11:59

    तम से मुक्ति का पर्व दीपावली आपके पारिवारिक जीवन में शांति , सुख , समृद्धि का सृजन करे ,दीपावली की ढेर सारी बधाईयाँ !

  • हर्षवर्धन  On नवम्बर 9, 2007 at 07:51

    सारे ख्वाब हकीकत नहीं बनते। लेकिन, जमकर ख्वाब देखिए और जो, ख्वाब पूरे हो जाएं उनसे नए ख्वाब देखने की ताकत पाइए। और, भाई ये वर्ड वेरीफिकेशन हटा दो तो बढ़िया।

  • परमजीत बाली  On नवम्बर 9, 2007 at 02:05

    दिवाली मुबारक!

  • परमजीत बाली  On नवम्बर 9, 2007 at 00:42

    दीपक जी, बहुत ही प्रेरक रचाना है।बधाई।

एक उत्तर दें

Please log in using one of these methods to post your comment:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

%d bloggers like this: