”कभी कहता-”मेरे प्रपोजल का उत्तर क्यों नहीं देती।”वह चली जाती और वह देखता रह जाता था। आखिर एक दिन उसने कहा कहा-”मुझे ना कर दो, कम से कम अपना वक्त खराब तो नहीं करूं।”
वह लडकी आगे बढ़ गयी और फिर पीछे लौटी-”तुम्हारे पास प्यार लायक पैसा है।
”वह बोला-”हाँ, गिफ्ट में मोबाइल, कान की बाली और दो ड्रेस तो आज ही दिलवा सकता हूँ।
”लड़की ने पूछा-”तुम्हारे पास गाडी है।
”लड़के न कहा-”हाँ मेरे पास अपनी मोटर साइकिल है, वैसे मेरी मम्मी और पापा के पास अलग-अलग कार हैं। मम्मी की कार मैं ला सकता हूँ।”
लड़की ने पूछा-“तुम्हारे पास अक्ल है?”
लड़के ने कहा-”हाँ बहुत है, तभी तो इतने दिन से तुम्हारे साथ प्रेम प्रसंग चलाने का प्रयास कर रहा हूँ। और चाहो तुम आजमा लो।”
लड़की ने कहा-”ठीक है। धन तेरस को बाजार में घूमेंगे, तब पता लगेगा की तुम्हें खरीददारी की अक्ल है कि नहीं। हालांकि तुम्हें थोडा धन का त्रास झेलना पडेगा, और बात नहीं भी बन सकती है।”
लड़का खुश हो गया और बोला-”ठीक, आजमा लेना।
धन तेरस को दोनों खूब बाजार में घूमें। लड़के ने गिफ्ट में उसे मोबाइल,कान की बाली और ड्रेस दिलवाई। जब वह घर जाने लगी तो उसने पूछा-”क्या ख्याल है मेरे बारे में?”
लड़की ने कहा-”अभी पूरी तरह तय नहीं कर पायी। अब तुम दिवाली को घर आना और मेरी माँ से मिलना तब सोचेंगे। वहाँ कुछ और लोग भी आने वाले हैं।”
लड़का खुश होता हुआ चला गया। दीपावली के दिन वह बाजार से महंगी खोवे की मिठाई का डिब्बा लेकर उसके घर पहुंचा। वहाँ और भी दो लड़के बैठे थे। लड़की ने उसका स्वागत किया और बोली-”आओ मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी, आओ बैठो।”
लड़का दूसरे प्रतिद्वंदियों को देखकर घबडा गया था और बोला -”नहीं मैं जल्दी में हूँ। मेरी यह मिठाई लो और खाओ तो मेरे दिल को तसल्ली हो जाये।”
लड़की ने कहा-”पहले मैं चेक करूंगी की मिठाई असली खोये की की या नकली की। यह दो भी बैठे हैं इनके भी चेक कर करनी है। यही तुम्हारे अक्ल की परीक्षा होगी। ”
लड़के ने कहा-”असली खोवे की है, उसमे बादाम और काजू भी हैं। ”
लडकी ने आँखें नाचते और उसकी मिठाई की पेटी खोलते हुए पूछा-”खोवा तुम्हारे घर पर बनता है।” लड़का सीना तान कर बोला-”नहीं, पर मुझे पहचान है।”लडकी ने मिठाई का टुकडा मुहँ पर रखा और फिर उसे थूक दिया और चिल्लाने लगी-”यह नकली खोवे की है।”
लड़का घबडा गया और बोला-”पर मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ।”
लडकी ने कहा-‘तभी यह नकली खोवे की मिठाई लाये हो। तुम फेल हो गए। अब तुम जाओ इन दो परीक्षार्थियों की भी परीक्षा लेनी है।”
लड़का अपना मुहँ लेकर लौट आया और बाहर खडा रहा। बाद में एक-एक कर दोनों प्रतिद्वंद्वी भी ऐसे ही मुहँ लटका कर लौट आये। तीनों एक स्वर में चिल्लाए-”इससे तो मिठाई की जगह कुछ और लाते, कम से कम जुदाई का गम तो नहीं पाते।”
हालांकि तीनों को मन ही मन में इस बात की तसल्ली थी की उनमें से कोई भी पास नहीं हुआ था।
नोट-यह एक काल्पनिक व्यंग्य है और किसी व्यक्ति या घटना से इसका कोई लेना-देना नहीं है और किसी की कारिस्तानी से मेल खा जाये तो वही इसके लिए जिम्मेदार होगा।
टिप्पणियाँ
achcha hai. pasand aaya.
क्या दीपक जी…आप इस सिंथैटिक वैलैंटाईन के युग में असली मावा ढुंढवाते हैँ बेचारे अबोध लडकों से ?यहाँ सब कुछ ही नकली है…नकली माल…नकली जज़बात…नकली प्यार …कहीं आपकी नायिका लडकों का उल्लू बना अपना उल्लू तो सीधा नहीं कर रही है कहीँ?