हिंदी दिवस पर इसलिये जगाते-हास्य कविता (hindi divas par jagate-hasya kavita


पोते ने कहा दादा से
‘पापा ने उस कार्यक्रम में
साथ ले जाने से मना कर दिया
जिसमें हर वर्ष
हिंदी दिवस पर भाषण करने जाते।
आप ही समझाओ
मैं तो पढ़ रहा हूं अंग्रेजी माध्यम स्कूल में
हिंदी के बारे में सुनना है मुझे भी
मैं भी पढ़ूंगा
बहुत से माता पिता अपने बच्चों को पढ़ाते।’

सुनकर दादाजी हंसे और बोले
‘बेटा, जो माता पिता गरीब हैं
वही अपने बच्चों को हिंदी पढ़ाते।
जिनके पास पैसा है बहुत
वह तो अंग्रेजी सभ्यता बच्चों को सिखाते,
अच्छा भविष्य तो होता अपने कर्म के हाथ
पर वह अपने को ऐसे सभ्य दिखाते
इस देश में अच्छे भविष्य और विकास का नारा
इस तरह लगता रहा है कि लोग
एक दूसरे को उसमें बहा रहे हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि हिंदी गरीबों की भाषा
सच ही लगता है क्योंकि
असली संस्कृति तो गरीब ही बचा रहे हैं।
उनमें फिर भी है माता पिता का सम्मान
वरना तो अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ा चुके पालक
अब उनकी उपेक्षाओं का गाथा गाते।
कुछ लोग वृद्धाश्रम में बस जाते।
संस्कृति और संस्कार तो बचाना चाहते हैं
ताकि रीतियों के नाम पर
स्वयं को लाभ मिलता रहे
भाषा ही इसका आधार है
सच उनसे कौन कहे
वेतन की गुलामी आसानी से मिल जायेगी
इस भ्रम में अंग्रेजी को लोग अपनी मान लेते
हिंदी से दूरी रखकर गौरव लाने की ठान लेते
तुम्हारे बाप को डर है कि
कहीं गरीबों की भाषा के चक्कर में
तुम भी गरीब न रह जाओ
इसलिये तुम्हें हिंदी से दूर भगाते
पर जमाना गुलाम रहे हमारा
इसलिये उसे जगाते।

…………………………

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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टिप्पणियाँ

  • mridula pradhan  On अप्रैल 27, 2010 at 14:39

    achchi lagi.

  • खुशदीप सहगल  On सितम्बर 14, 2009 at 11:19

    हैलो, लेडीज़ एंड जैंटलमैन, टूडे हमको हिंडी डे मनाना मांगटा…अंग्रेज़ चले गए लेकिन अपनी….छोड़ गए…

  • धीरेन्द्र सिंह  On सितम्बर 14, 2009 at 11:10

    हिंदी दवस की शुभकामनाऍ।

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