भगवा, हरा, सफेद और नीले रंग के
तयशुदा परिधानों के धारण करने वाले
सर्वशक्तिमान के प्रतिनिधि कहलाने वाले
दलालों को अगर पहचाना नहीं,
समझो धर्म नहीं निभाया
ज्ञान कभी नहीं ।
रास्ते पर बेचने वाली शय नहीं है ज्ञान,
किताबें बेचने वाले कभी नहीं कहलाये महान,
उसके शब्द रटकर सुनाने वाले
फिर क्यों करते हैं अभिमान,
उनको खुद भी समझ आया नहीं।
मत मानो उनको देवता
सर्वशक्तिमान सभी का सगा है
किसी के लिये पराया नहीं।
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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