फिल्म निर्माता ने कहा
कहानीकार से
‘कोई ऐसी कहानी लिखकर लाओ,
जिसमें पुराने राजाओं जैसे रात को वेश बदलकर
जनता के दुःखदर्द जानने की कोशिश करते हुए
आज के किसी ऊंचे ओहदेदार का पात्र दिखाओ।
अपने ही बेटे को नायक बना रहा हूं
तो भतीजे को गायक के रूप में ला रहा हूं,
घिसी पिटी कहानियों से दर्शक अब नहीं फंसता
अमीरों की कहानियों को देखने से बचता,
अपना बेटा है इसलिये मज़दूर का अभिनय
उससे कराना कठिन है,
आखिर छबि का सवाल है
उसके यह इस धंधे में शुरुआती दिन है,
इसलिये कोई चमकदार पात्र सजाओ।’
सुनकर कहानीकार ने कहा
‘ भारत में और वह भी हिन्दी में यह संभव नहीं है
कोई अंग्रेजी कहानी हो तो आप बताओ।
उसका अनुवाद मैं लिख दूंगा,
पात्र की पृष्ठभूमि अमेरिका या ब्रिटेन में रख लूंगा,
यहां ऐसी कहानी नहीं लिखी जा सकती,
ऊंचे ओहदेदार रात मे क्या दुःखदर्द देखेंगे,
दिन में ही जनता उनके दर्शन नहीं करती,
फिर भेष बदलकर सड़क पर निकलने की बात
यहां जम नहीं पायेगी,
कमांडो तय करते हैं जिनका रास्ता
वह खुद क्या
उनकी पालतू कुतिया भी सड़क पर नहीं आयेगी,
अपने ही पहरेदारों के जो बंधक हैं
वह ऊंचे ओहदेदार
जनती की व्यववस्था के जरूर प्रबंधक हैं,
पर लोगों के भला करने की बात वह
तभी तो सोच पायेंगे
जब अपने घर भरने से फुरसत पायेंगे,
वैसे भी मैं बेमतलब की प्रेम कहानियां
लिखने का अभ्यस्त हूं,
आजकल तो बहुत ज्यादा व्यस्त हूं,
इसलिये या तो कहानी का पात्र बदलो
या कहानीकार ही बदलकर लाओ।’
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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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