टीवी चैनल के कर्मचारी ने
अपने प्रबंध निदेशक से पूछा
‘सर, आपका क्या विचार है
अयोध्या में राम जन्म भूमि पर
मंदिर बन पायेगा
यह मसला कभी सुलझ पायेगा।’
सुनकर प्रबंध निदेशक ने कहा
‘अपनी खोपड़ी पर ज्यादा जोर न डालो
जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनेगा,
तभी तक अपने चैनल का तंबू बिना मेहनत के तनेगा,
बहस में ढेर सारा समय पास हो जाता है,
जब खामोशी हो तब भी
सुरक्षा में सेंध के नाम पर
सनसनी का प्रसंग सामने आता है,
अपना राम जी से इतना ही नाता है,
नाम लेने से फायदे ही फायदे हैं
यह समझ में आता है,
अपना चैनल जब भी राम का नाम लेता है
विज्ञापन भगवान छप्पड़ फाड़ कर देता है,
अगर बन जायेगा
तो फिर ऐसा मुद्दा हाथ नहीं आयेगा
कभी हम किसी राम मंदिर नहीं गये
पर राम का नाम लेना अब बहुत भाता है,
क्योंकि तब चैनल सफलता की सीढ़िया चढ़ जाता है,
इसलिये तुम भी राम राम जपते रहो,
इस नौकरी में अपनी रोटी तपते रहो,
अयोध्या में राम मंदिर बन जायेगा
तो उनके भक्तों का ध्यान वहीं होगा
तब हमारा चैनल ज़मीन पर गिर जायेगा।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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टिप्पणियाँ
deepakji aapki kavita may media ka sahi aanklan kiya gaya hai.matra apnay swarth kay liyaa naa to yah aam janta ka liya shochtay hai aur nahi desh ki shanti aur samaan ka liya.cwg ko hi media nay puray vishva kay samnay tamasha bana diya.mantay hai ki bahut sari kamiya thi lakin desh ki sakh kay liya bada kar pash karna bhi galat hai