अधिक उजियारी जरूर करेंगे,
दौलत के साबुन से अपनी
छवि चमकाने की कोशिश में
चरित्र पर दाग भले ही लग जाये
मगर ज़माने में
अपनी गरीब छवि वह दूर करेंगे।
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देशभक्ति की बात करते हुए
अब सभी को डर लगता है
क्योंकि पता नहीं कब और
कौन गद्दार सुन रहा हो,
बिक रहे हैं पहरेदार सरेआम
बचाने निकले जब हम देश को
नज़र न पड़ जाये किसी गद्दार की
लिये ईमानदारी की शपथ जो
अपना शिकार चुन रहा हो।
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कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
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