मधुर कर्णप्रिय शब्द बोले
ऐसे मुख की तलाश जारी है
पर कोई बोलता नहीं है,
किसी से अपनी बात
खुलकर कह सकें
ऐसे कान की तलाश जारी है
पर कोई खोलता नहीं है,
कोई हमारे जज़्बात को समझे
ऐसे दिल की तलाश जारी है
पर शब्दों कोई तोलता नहीं है,
कहें दीपक बापू जिंदा इंसानों में
जागी शख्सियत की तलाश जारी है
मगर कोई डोलता नहीं है।
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आशिकों के कातिल बन जाने की खबर रोज आती है,
टीवी पर विज्ञापनों के बीच सनसनी छा जाती है।
कहें दीपक बापू दिल कांच की तरह टूट कर नहीं बिखरते
अब भड़ास अब गोली की तरह चलकर आग बरसाती है।
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आशिक नाकाम होने पर अब मायूस गीत नहीं गाते है,
कहीं गोली दागते कहीं जाकर चाकू चलाते हैं।
कहें दीपक बापू इश्कबाज हो गये इंकलाबी
नाकाम आशिक कलम छोड़कर हथियार चलाते हैं।
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आशिकों ने प्रेमपत्र लिखने के लिये कलम उठाना छोड़ दिया है,
एक हाथ का मोबाइल दूसरे का चाकू से नाता जोड़ दिया है,
कहें दीपक बापू इश्क पर क्या कविता और कहानी लिखें,
टीवी पर चलती खबरों ने उसे सनसनी की तरफ मोड़ दिया है।
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तदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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