राष्ट्रभाषा के प्रति सम्मान यूं दिखायें-14 सितम्बर हिन्दी दिवस पर विशेष हिन्दी व्यंग्य रचना


हमारी मातृभाषा हिन्दी है

आओ हम सब मिलकर

समूह में गायें।

वाणी से भले ही

निकलते हैं हिंग्लिश के शब्द

पर हमारे हृदय की साम्राज्ञी

हिन्दी भाषा है

सारे संसार को समझायें।

कहें दीपक बापू अंग्रेजी कालीन पर

भले चलते हैं हमारे कदम

उसके नीचे धूल की तरह

हिन्दी पड़ी हुई अभी

हमने उसे झाड़कर

बाहर नहीं फैंका

आओ यह बात स्वयं को

समझाकर आनंद मनायें।

———————-

दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर 

poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior

http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का  चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
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