दुनियां के मज़दूरों
अब समझदार भी हो जाओ।
करते हैं जो तुम्हें महलों का
स्वामी बनाने का दावा
दौलतमंदों के लिये
करते छलावा
हड़ताल पर मत जाओ।
कहें दीपकबापू हंसिया हथौड़ा
तुम्हारी मजदूरी के हथियार हैं
हुड़दंग का चिन्ह न बनाओे
दलाल भेड़ों की भीड़ की तरह
तुम्हें चौराहों पर सजाते हैं
उनके बहकावे में न आओ।
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युवा शक्ति के
विकास का नारा
धन के लोभी लगाते हैं।
कहीं चूसते पसीना
कहीं पैसे के लिये
नशे का बाज़ार सजाते है।
कहें दीपक बापू युवा शक्ति से
देश विकसित हो जाता
अगर कोई खूबसूरत सपने के
सच में उगने के बीज बो पाता,
यहां तो युवा खून के सौदागर
मुफ्त का पसीना बनाते हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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