- एक सज्जन व्यक्ति के घर से बैठने या विश्राम के लिए भूमि, तिनकों से बने आसन, जल तथा मृदु वचन कभी दूर नहीं रहते। यह सब आसानी से उपलब्ध रहते हैं। अत: अतिथि को यदि अन्न, फल-फूल और दूध आदि से सेवा करना संभव नहीं हो तो उसे सही स्थान पर आसन पर आदर सहित बैठाकर जल तथा मृदु वचनों से संतुष्ट करना चाहिऐ।
- एक रात गृहस्थ के घर ठहरने वाला व्यक्ति ही अतिथि कहलाता है क्योंकि उसके आने की कोई तिथि निश्चित नहीं होती। एक रात से अधिक ठहरने वाला अतिथि कहलाने का अधिकारी नहीं होता।
- यदि एक स्थान से दूसरे स्थान या नगर में रोजी-रोटी कमाने के उद्देश्य से जाकर कोई व्यक्ति बस जाता है तथा उसके गृह क्षेत्र का कोई दूसरा व्यक्ति उसके यहाँ ठहरता है या वह स्वयं अपने गृहक्षेत्र में जाकर ठहरता है तो उसे अतिथि नहीं माना जाता। इसी प्रकार मित्र, सहपाठी और यज्ञ आदि कराने वाला पुरोहित भी अतिथि नहीं कहलाता।
- जो मंद बुद्धि गृहस्थ उत्तम भोजन के लालच में दूसरे गाँव में जाकर दूसरे व्यक्ति के घर अतिथि बनकर रहता है वह मरने के बाद अन्न खिलाने वाले के घर पशु के रूप में उस भोजन का प्रतिफल चुकाता है।
- सूर्यास्त हो जाने के बाद असमय आने वाले मेहमान को भी घर से बिना भोजन कराए वापस भेजना अनुचित है। अतिथि समय पर आये या असमय पर उसे भोजन कराना ही गृहस्थ का धर्म है।
- जो खाद्य पदार्थ अतिथि को नहीं परोसे गए हों उन्हें गृहस्थ स्वयं न ग्रहण करे। अतिथि का भोजन आदि से आदर सत्कार करने से धन, यश, आयु एवं स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
- उत्तम, मध्यम एवं हीन स्तर के अतिथियों को उनकी अवस्था के अनुसार स्थान, विश्राम के लिए शय्या और अभिवादन प्रदान कर उनकी पूजा करना चाहिऐ।
-
लोकप्रियता का अंक
-
फेसबुक अवश्य देखें
-
समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-
पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका -
Join 514 other subscribers
-
मेरे अन्य वेब-पत्रक
- अनंत शब्दयोग
- दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
- दीपक भारतदीप की हिन्दी-पत्रिका
- दीपक भारतदीप का चिंतन
- दीपक भारतदीप का चिंतन
- दीपक भारतदीप की अंतर्जाल-पत्रिका
- दीपक भारतदीप की ई-पत्रिका
- दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान-पत्रिका
- दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
- दीपक भारतदीप की शब्द्लेख पत्रिका
- दीपकबापू कहिन
- राजलेख की हिन्दी पत्रिका
- शब्दलेख सारथी
- hindi magazine
-
विशिष्ट पत्रिकायें
-
Blogroll
-
my other web page
-
Top Posts
-
हाल के पोस्ट
- पाकिस्तान के साथ संघर्ष बहुत दिनों तक चलेगा-हिन्दी संपादकीय
- अच्छे राज्य प्रबंध में बुद्धिजीवियों की भूमिका जरूरी-चाणक्य नीति के आधार पर चिंतन लेख
- सम्मान वापसी और रचनात्मकता का वैचारिक संघर्ष-हिन्दी लेख
- भारत के मजदूरों समझदार हो जाओ-हिन्दी कविता
- विश्व हिन्दी सम्मेलन और हिन्दी दिवस पर ट्विटर के रूप में नया पाठ
- ज़माने की बेबसी-हिन्दी कवितायें
- xबाहूबली फिल्म की सफलता पर चर्चा-हिन्दी लेख
- #भारतीय #मीडिया का व्यंजना शैली में #उन्माद फैलाना ठीक नहीं-#हिन्दीचिंत्तनलेख
- कान्हाओं के बीच जंग होनी ही थी-हिन्दी कवितायें
- योग साधना का अभ्यास मौन होकर करना ही उचित-हिन्दी चिंत्तन लेख
- आओ अफवाह फैलायें-लघु हिन्दी व्यंग्य चिंत्तन
- नौकरी ज्यादा आनंददायक नहीं रहती-हिन्दी चिंत्तन लेख
- एकांत मे की जाती है योग साधना-हिन्दी चिंत्तन लेख
- शांति की व्यापारी-हिंदी कविताएँ
- चालाकियों के सहारे-हिन्दी कविता
-
हाल ही की टिप्पणियाँ
- Sukhmangal Singh पर अंतर्मन-हिंदी कविता (anatarman-nindi sahitya kavita)
- Sukhmangal Singh पर अंतर्मन-हिंदी कविता (anatarman-nindi sahitya kavita)
- manoj kumar पर इंसान को खिलौना समझाते हैं-हिन्दी व्यंग्य कवितायें
- arvind gaur पर मिलन के साथ वियोग भी आसान होना चाहिए-आलेख
- arvind gaur पर मिलन के साथ वियोग भी आसान होना चाहिए-आलेख
-
Blog Stats
- 363,115 hits
-
Top Clicks
- कोई नही
-
Flickr Photos