फिर अपने प्रचार की तराजु में
अपनी इज्जत का वजन तोलेंगे।
कहें दीपक बापू
हर जगह छाये हैं वह चेहरे
बाज़ार के सौदागरों से लेकर दाम,
प्रचारकों के साथी होकर करते काम,
अपने लफ्जों की कीमत लेकर ही
हर बार अपना मुंह खोलेंगे,
नाम वाले हो या बदनाम
पर्दे पर विज्ञापनों के बीच
महाबहस के लिये
सामान जुटायेंगे वही लोग
जो पहले मशहुर होकर
शौहरत के लिये इधर उधर डोलेंगे।
poet, writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior
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