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दुनियां का खात्मा और मनोरंजन-हिन्दी व्यंग्य कविता (duniya aur manoranjan-hindi vyangya kavita)


दुनियां की तबाही देखने के लिये
इंसान का दिल क्यों मचलता है
हमारी आंखों के सामने ही सब
खत्म हो जाये
फिर कोई यहां जिंदा न रह पाये
यही सोचकर उसका दिल बहलता है।
हम न होंगे पर यह दुनियां रहेगी
यही सोच उसका दिमाग दहलता है।
इसलिये ही दुनियां के खत्म होने की
खबर पर पूरा जमाना
मनोरंजन की राह पर टहलता है।

—————-
कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

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अमर लेखक बन जायेगा-हिंदी हास्य कविता (amar lekhak ban jayega-hindi hasya kavita)



आठवीं कक्षा में पढ़ रहे बेटे ने
अपने पिता से कहा
‘बड़ा होकर मैं भी साहित्य लिखूंगा
तब सभी को बड़े आदमी जैसा दिखूंगा
आजकल लेखकों की बहुत चर्चा है
बस लिखो, कोई नहीं खर्चा है
मेरे साथ आपका भी नाम तो रौशन होगा
जब मेरी किताब छपकर बाजार में आयेगी।’
सुनकर पिता कुछ गुस्से और प्यार में बोले
‘क्या पगला गया है जो
ऐसी बातें सोचता है
कुछ भी बोलता है
क्योंकि नहीं तुझे कोई रोकता है
पहले पढ़लिखकर कोई पदाधिकारी बन
या साहूकार की तरह समाज में तन
दोनों ही नहीं बन सके तो
युवतियों का चहेता फिल्मी अभिनेता बन
अगर तू ऐसे ही लेखक बनेगा तो
पैसा लेकर भी कोई किताब नहीं छापेगा
खुद ही छपवाकर दोस्तों में बांटेगा
जब कुछ बन जायेगा
तो जैसा भी लिख
अमर लेखक हो जायेगा
जनता में तेरा नाम तभी आयेगा
बिना मशहूरी के साहित्य भी लिखेगा
तो वह पब्लिक में पढ़ता नहीं दिखेगा
जब चढ़ जायेगा प्रसिद्धि के शिखर पर
तब जिंदा लोगों को भूल कर
मरे जिन्न या प्रेत पर भी लिखेगा
तो तेरी किताब वैसे ही बिक जायेगी
प्रसिद्धि कम होगी तो
वह पहले से भी बढ़ जायेगी।

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