Tag Archives: pyar

इश्क पर हास्य कविता-हिन्दी काव्य प्रस्तुति (ishq par hasya kavita-hindi comic poem)


पुरानी प्रेमिका मिली अपने
पुराने प्रेमी कवि से बहुत दिनों बाद
और बोली,
‘कहो क्या हाल हैं,
तुम्हारी कविताओं की कैसी चाल है,
सुना है तुम मेरी याद में
विरह गीत लिखते थे,
तुम पर सड़े टमाटर और फिंकते थे,
अच्छा हुआ तुमसे शादी नहीं की
वरना पछताती,
कितना बुरा होता जब बेस्वादी चटनी से
बुरे आमलेट ही जीवन बिताती,
तुम भी दुःखी दिखते हो
क्या बात है,
पिचक गये तुम्हारे दोनों गाल हैं,
मेरी याद में विरह गीत लिखते तुम्हारा
इतना बुरा क्यों हाल है।’
सुनकर कवि बोला
‘तुमसे विरह होना अच्छा ही रहा था,
उस पर मेरा हर शेर हर मंच पर बहा था,
मगर अब समय बदल गया है,
कन्या भ्रुण हत्याओं ने कर दिया संकट खड़ा,
लड़कियों की हो गयी कमी
हर नवयुवक इश्क की तलाश में परेशन है बड़ा,
जिनकी जेब भरी हुई है
वह कई जगह साथ एक जगह जुगाड़ लगाते हैं,
जिनके पास नहीं है खर्च करने को
वह केवल आहें भर कर रह जाते हैं,
विरह गीतों का भी हाल बुरा है,
हर कोई सफल कवि हास्य से जुड़ा है,
इश्क हो गयी है बाज़ार में बिकने की चीज,
पैसा है तो करने में लगता है लज़ीज,
एक से विरह हो जाने से कौन रोता है,
दौलत पर इश्क यूं ही फिदा होता है,
दिल से नहीं होते इश्क कि टूटने पर कोई हैरान हो,
कल दूसरे से टांका भिड़ जाता है
फिर क्यों कोई विरह गीत सुनने के लिये परेशान हो,
जिन्होंने बस आहें भरी हैं
उनको भी इश्क पर हास्य कविता
सुनने में मजा आता है,
आशिक माशुकाओं का खिल्ली उड़ाने में
उनका दिल खिल जाता है,
कन्या भ्रुण हत्याओं ने कर दिया कचड़ा समाज का,
इश्क पर फिल्में बने या गीत लिखे जा रहे ज्यादा
मगर तरस रहा इसके लिये आम लड़का आज का,
तुम्हारे विरह का दर्द तो अभी अंदर है
मगर उस पर छाया अब हास्य रस का जाल है।
———–

कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com

यह आलेख इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप का चिंतन’पर मूल रूप से लिखा गया है। इसके अन्य कहीं भी प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका