इंसानी रिश्ते-हिन्दी शायरियां (insani rishtey-hindi sahyriyan)


दूसरों के दाग देखने की आदत
कुछ इस तरह हो गयी है कि
अपने कसूर दिखाई नहीं देते।
किसी के घावों को देखकर
खुश होने का रिवाज बन गया है
लोग अपनी जिंदगी के
स्याहा धब्बे इसी तरह छिपा लेते।
——–
कौन कहता है कि
जिंदगी के रिश्ते
ऊपर से तय होकर आते हैं।
सच तो यह है कि
इस धरती पर सारे इंसानी रिश्ते
हालातों से मोलभाव कर
तय किये जाते हैं।

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कवि,लेखक संपादक-दीपक भारतदीप, ग्वालियर
http://rajlekh.blogspot.com

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टिप्पणियाँ

  • aarya  On मार्च 15, 2010 at 23:44

    # भारतीय नववर्ष 2067 , युगाब्द 5112 व पावन नवरात्रि की शुभकामनाएं # रत्नेश त्रिपाठी

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