कान्हाओं के बीच जंग होनी ही थी-हिन्दी कवितायें


कन्याओं की कमी थी

चार दीवानों के बीच

घर बसाने की

जंग होनी ही थी।

कान्हाओं में फैली बेरोजगारी

दो दीवानियों  के बीच

सुयोग्य वर पाने की

जंग होनी ही थी।

कहें दीपक बापू दिशा भ्रम है

मन बसा था पूर्व में

कदम बढ़ा दिये पश्चिम की तरफ

तनाव में सांस लेते दिलों के बीच

अपना अपना डर भगाने की

जंग होनी ही थी।

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शहर की गंदगी ढोने वाले

नालों पर तरक्की की

इमारतें खड़ी हैं।

वर्षा ऋतु में उत्साहित जल

ढूंढता सड़क पर

अपनी सहचरिणी रेत

 जो पत्थरों में जड़ी है।

 कहें दीपक बापू हवा और जल

हमेशा चहलकदमी नहीं करते

अपने पथों का कर भी नहीं भरते

विकास के बांध खेलने के लिये

उनके सामने

बन जाते खिलौना

इंसान के कायदों से

प्रकृत्ति की हस्ती बड़ी है।

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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’

कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक ‘भारतदीप”,ग्वालियर 

poet,writer and editor-Deepak ‘BharatDeep’,Gwalior

http://dpkraj.blogspot.com
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